रतन टाटा केवल एक सफल व्यवसायी ही नहीं हैं, बल्कि वे एक समाजसेवी भी थे। उन्होंने टाटा समूह में सामाजिक उत्तरदायित्व को हमेशा प्रमुखता दी। टाटा ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, उन्होंने टाटा नैनो जैसी किफायती कार का सपना पूरा कर भारत के मध्यम वर्ग के लोगों को वहन करने योग्य वाहन का तोहफा दिया। रतन टाटा ने हमेशा सादगी और विनम्रता को अपनाया। उनके नेतृत्व की विशेषता है नैतिकता, दीर्घकालिक दृष्टिकोण और कर्मचारियों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता। रतन टाटा ने कई बार जोर देकर कहा, ‘आप व्यवसाय केवल लाभ कमाने के लिए नहीं करते, बल्कि समाज को बेहतर बनाने के लिए भी करते हैं।
रतन टाटा का जन्म साल 1937 में प्रतिष्ठित टाटा परिवार में हुआ था। रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल और बाद में जॉन कैनन स्कूल से की। मैनेजमेंट की पढ़ाई हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से की थी। उन्हें उनके अतुलनीय योगदान के लिए पद्म विभूषण, पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। रतन टाटा 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन थे। उन्होंने 4 महीने अंतरिम चेयरमैन की भूमिका भी निभाई थी। उनकी उपलब्धियों में 1 लाख रुपये की कार नैनो लॉन्च, फोर्ड समूह की लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी जगुआर और लैंड रोवर खरीदना सहित और शामिल हैं। टाटा का मार्केट कैपिटल देश में सबसे अधिक है। यह रतन टाटा द्वारा कंपनी में किए गए बदलावों के कारण ही संभव हुआ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा
रतन टाटा के दुखद निधन के साथ, भारत ने एक ऐसे प्रतीक को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट विकास को राष्ट्र निर्माण और उत्कृष्टता को नैतिकता के साथ जोड़ा। पद्म विभूषण और पद्म भूषण के प्राप्तकर्ता, उन्होंने महान टाटा विरासत को आगे बढ़ाया और इसे एक और प्रभावशाली वैश्विक उपस्थिति दी। उन्होंने अनुभवी पेशेवरों और युवा छात्रों को समान रूप से प्रेरित किया। परोपकार और दान में उनका योगदान अमूल्य है। मैं उनके परिवार, टाटा समूह की पूरी टीम और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा
रतन टाटा के निधन पर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि वो सादगी और विनम्रता के प्रतीक थे। उनकी सोच बहुत अच्छी थी। वो सबको कहते थे कि अगर उद्योग लगाना है या व्यापार करना है तो सबसे पहले राष्ट्रहित आपका होना चाहिए।
रतन टाटा को पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
टाटा समूह के सर्वेसर्वा रहे रटन टाटा को पीएम मोदी, रक्षा मंत्रा राजनाथ सिंह, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित कई लोगों ने श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने लिखा कि रतन टाटा जी एक दूरदर्शी व्यापारी नेता, एक दयालु व्यक्तित्व और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित व्यापार घरों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से बहुत आगे निकल गया। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने कई लोगों का दिल जीता।
वह हमारे दिलों में जीवित रहेंगे- अमित शाह
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने रतन टाटा के निधन पर कहा कि मशहूर उद्योगपति और सच्चे राष्ट्रवादी, रतन टाटा जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने अपना जीवन निस्वार्थ भाव से हमारे देश के विकास के लिए समर्पित कर दिया। हर बार जब मैं उनसे मिला, तो भारत और इसके लोगों के भलाई के प्रति उनका उत्साह और प्रतिबद्धता मुझे चकित कर देती थी। हमारे देश और इसके लोगों के कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने लाखों सपनों को खिलने में मदद की। समय रतन टाटा जी को उनके प्यारे देश से दूर नहीं ले जा सकता। वह हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। मेरी संवेदना टाटा ग्रुप और उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ है। ओम शांति शांति 
महान उद्योगपति श्री रतन टाटा जी का 86 वर्ष की आयु में निधन।उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश की उन्नति और प्रगति के लिए समर्पित किया था।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
The end of an era! Shri Ratan Tata set a new paradigm in leadership that espoused the values of integrity and compassion. Indeed, he has left an indelible mark in the world of business, and the society at large. It was an honour to have known you.
My deepest condolences to his family and loved ones. Rest in peace, Titan!
@JM_Scindia 
राहुल गाँधी ने कहा
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रतन टाटा के निधन पर लिखा कि रतन टाटा एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। रतन टाटा ने व्यापार और परोपकार दोनों क्षेत्रों में अपनी स्थायी छाप छोड़ी। राहुल ने आगे लिखा कि मेरी संवेदना उनके परिवार और टाटा समुदाय के साथ है।
महाराष्ट्र में 'उद्योग रत्न' पुरस्कार का नाम टाटा के नाम पर होगा
दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उदय सामंत ने कहा कि रतन टाटा जी सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे बल्कि एक प्रतिबद्ध व्यक्ति थे, उन्होंने जो कहा वो किया। सामंत ने कहा कि उनकी स्मृति में हमने उद्योग रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर रतन टाटा उद्योग रत्न पुरस्कार कर दिया है और हम मुंबई में बनने जा रही सबसे बड़ी इमारत, उद्योग भवन का नाम भी रतन टाटा के नाम पर रख रहे हैं।
उनकी उपलब्धियों का वर्णन करने के लिए एक पूरी पुस्तक भी कम पड़ेगी- RBI गवर्नर
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर कहा कि मैं यहां दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने आया हूं, रतन टाटा जी के बारे में दो बातें हैं जो सबसे अलग हैं। पहली यह कि वे एक सच्चे दूरदर्शी थे, दूसरी यह कि वे नैतिकता और कॉर्पोरेट प्रशासन में दृढ़ विश्वास रखते थे। आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास जब भी लिखा जाएगा, तब मुझे लगता है कि उनकी उपलब्धियों का वर्णन करने के लिए एक पूरी पुस्तक भी कम पड़ेगी। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। बता दें कि RBI गवर्नर शक्तिकांत दास मुंबई के एनसीपीए लॉन पहुंचे थे।
रतन टाटा का जीवन अपने आप में एक विश्वविद्यालय के समान-सीएम मोहन यादव
रतन टाटा के निधन पर मध्य प्रदेश CM मोहन यादव ने कहा कि स्वर्गीय रतन टाटा का जीवन अपने आप में एक विश्वविद्यालय के समान है, उन्होंने अपने जीवन में बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करके भी दिखाया। वे इतने संवेदनशील थे कि जब उन्होंने 3-4 बच्चों के साथ व्यक्ति को बाइक पर जाते देखा तो कल्पना करते हैं कि गरीबों को भी कार मिलनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें जमीन उपलब्ध कराकर भारत में नैनो कार की सौगात भी दी, भगवान उन्हें अपने चरणों में स्थान दे।
रतन टाटा का अंतिम सोशल मीडिया पोस्ट
रतन टाटा के निधन के बाद उनसे जड़ी कई बातें अब लोग याद कर रहे हैं। अपने निधन से दो दिन पहले रतन टाटा ने एक भावुक पोस्ट डाली थी। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा कि शुक्रिया, आप हमारे बारे में सोचते हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि वह अपने उम्र संबंधी परेशानियों के चलते हेल्थ चेकअप करवाने गए हैं। चिंता की कोई बात नहीं है। इसी दौरान एक बयान भी जारी हुआ था, जिसमें लिखा था कि मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते रेगुलर मेडिकल चेकअप करवा रहा हूं। उन्होंने कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है। मेरा मनोबल ऊंचा है। उन्होंने लोगों और मीडिया से अफवाह न फैलाने और उसपर ध्यान न देने की अपील की थी।
बता दें कि भारतीय पारसी परिवार से संबंध रखने वाले रतन टाटा के माता-पिता, जब वह 10 साल के थे तभी अलग हो गए थे। उसके बाद रतन टाटा को उनकी दादी ने पाला था। वह अपने परिवार की समृद्ध व्यवसायिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित रहे।
श्रद्धांजलि
मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं,
तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।
जब एक टेलीफोन साक्षात्कार में भारतीय
अरबपति रतनजी टाटा से रेडियो प्रस्तोता ने पूछा:
"सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली"?
रतनजी टाटा ने कहा:
"मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।"
●पहला चरण धन और साधन संचय करना था।
लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था।
●फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया।
लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती।
●फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण। वह तब था जब भारत और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था। मैं भारत और एशिया में सबसे बड़ा इस्पात कारखाने मालिक भी था।
लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.
●चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हील चेयर खरीदने के लिए कहा।
लगभग 200 बच्चे थे। दोस्त के कहने पर मैंने तुरन्त व्हील चेयर खरीद लीं।
लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हील चेयर भेंट करूँ। मैं तैयार होकर उनके साथ चल दिया।
वहाँ मैंने सारे पात्र बच्चों को अपने हाथों से व्हील चेयर दीं। मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को व्हील चेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा।
यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे बड़ा उपहार जीतकर शेयर कर रहे हों।
मुझे उस दिन अपने अन्दर असली खुशी महसूस हुई। जब मैं वहाँ से वापस जाने को हुआ तो उन बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली।
मैंने धीरे से अपने पैर को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मुझे नहीं छोड़ा और उसने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को और कसकर पकड़ लिया।
मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?
तब उस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।
उस बच्चे ने कहा था-
"मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं,
तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"
उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य करना चाहिए कि, इस जीवन और संसार और सारी सांसारिक गतिविधियोंको छोड़ने के बाद आपको किसलिए याद किया जाएगा?
क्या कोई आपका चेहरा फिर से देखना चाहेगा, यह बहुत मायने रखता है ?

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