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#धमाका धर्म: "अपने ग्रंथो को पढ़ लीजिए सारे भ्रम दूर हो जायेंगे": विदुषी वक्ता अंजली आर्या

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

/ by Vipin Shukla Mama
* छठवें दिन गांधी पार्क में हुई रामकथा में उमड़ा भक्तों का सैलाब रावत,
* यादव, राठौर, जाटव, सिंधी, जैन समाज पेंशनर्स एसोशिएशन ने किया स्वागत,
* जय अम्बे समिति ने किया प्रसाद वितरण
शिवपुरी। अपने ग्रंथो को पढ़ लीजिए जीवन के सारे भ्रम दूर हो जाएंगे,उनसे प्रेरणा लेकर जीवन बढ़ा तो सार्थक हो जायेगा, लेकिन इतिहास से सबक भी लेना पड़ेगा कि भीष्म पितामह का जीवन सार्थक नही जटायु का जीवन सार्थक रहा क्योंकि भीष्म का जीवन लेने के और जटायु का जीवन बचाने के लिए हुए।जिसने श्री राम के जीवन को पढ़ा नही जाना नही वह श्री राम के जीवन को समझ ही नही सकता।उक्त प्रेरक कथन छह दिन से निरंतर जारी महर्षि वाल्मीकि कृत राम कथा में कथा वाचक विदुषी वक्ता दीदी अंजली आर्या ने गांधी पार्क में व्यक्त किये।
दीदी अंजली आर्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति में कभी ऊंचनीच छुआछूत अश्पृश्यता की गहरी खाई नही थी,ब्राह्मण मतंग ऋषि की शिष्या भीलन शबरी कैसे होती?ये खाई तो आक्रांताओ के द्वारा खोदी गयी।
दुर्गा माता के आठ हाथों के पीछे का उद्देश्य दो हाथ ब्राह्मण के दो हाथ क्षत्रिय के हो हाथ वैश्य के और दो हाथ शूद्र के थे,जो सदैव भारत की सुरक्षा में तत्पर थे।
कथावाचक आर्या ने कहा कि आज दीपक जलाने की आवश्यकता वहां नही जहां उजियारा है बल्कि वहां जलाने की जरूरत है जहां आज भी अंधियारा है।यही मूल कार्य है आज सभी को जोड़ना और जोड़कर समाज के हित मे लगाना यही रामायण का मूल सार है।श्री राम ने भी तो वनवासियों को साथ लेकर युद्ध लड़ा,वानर अर्थात किष्किंधा का वन क्षेत्र जो वाल्मी कहलाता था और वहां के निवासी वानर कहलाते थे,और वज्र अँगी अर्थात जिनका अंग अंग वज्र का था वह बजरंगी कहलाते थे,बंदर नही थे।चारो वेदों के ज्ञाता अति बुद्धिमान निष्काम सेवा की सच्ची मिसाल है हनुमान जी,व्याकरण के ज्ञाता थे हनुमान जी।चार प्रकार की मित्रता होती है उसमें से एक सहाय मित्रता हनुमान जी ने सुग्रीव जी और श्री राम के बीच कराई।
भारतीय संस्कृति के दर्शन रामायण से होते है,जहाँ लक्ष्मण सीता जी के आभूषण देखकर कहते है कि मैने पैरों के अतिरिक्त कुछ देखे ही नही आभूषण में कैसे जानू।ये विश्व मे कही और देखने को नही मिलती।बाली पर तीर मारकर भगवान श्री राम कहते है कि छोटे भाई की पत्नी,बेटे की पत्नी,बेटी और बहन ये बेटी के ही समान होती है और जो इन पर कुदृष्टि डालता है वह पापी ही होता है उसका अंत निश्चित है।
सारे संस्कार शिक्षा नियम रामायण से ही सीखने को मिलते है।और जो पाप की लंका होती है वह तो जलती ही है।
रामायण के छठवें दिन रावत ,यादव,जैन,राठौर,जाटव,सिंधी समाज के लोगो ने दीदी अंजली आर्या का स्वागत किया,तो जय अम्बे समिति के द्वारा प्रसाद वितरण किया। संचालन मोना ढींगरा ने किया। आभार इंद्रजीत चावला ने ज्ञापित किया।















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