भोपाल में सोमवार को सिंधिया के उस बयान को लेकर मीडिया ने दिग्विजय सिंह से सवाल किया। जिस पर उन्होंने कहा-
"मैं और अर्जुन सिंह हम लोग ही माधवराव सिंधिया को सन 1979-80 में कांग्रेस में लाए थे। संजय गांधी, इंदिरा जी से मिलवाया था। माधव राव महाराज के समय उनको जो भी सम्मान मिला, केन्द्र में मंत्री बने, पार्टी में महामंत्री बने। उनको पूरी इज्जत दी, वो कांग्रेस ने दी। मेरा उनसे कोई विवाद न कभी था, न कभी रहा। क्योंकि मैं खुद ही उनको कांग्रेस में लाया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया तो बच्चे हैं।
सिंधिया ने कहा था- दिग्विजय मेरे पिता को टारगेट करते थे
ग्वालियर में बुधवार को मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था-
" दिग्विजय सिंह मुझे कब टारगेट नहीं करते? ये कोई नई बात है क्या?
दिग्विजय सिंह की जिंदगी चली गई है, मुझे और मेरे पूज्य पिताजी को टारगेट करते-करते। मैंने कभी राजा साहब को टारगेट नहीं किया। आज भी मिलता हूं तो मैं प्रणाम ही करता हूं। जिसकी विचारधारा जो हो, वह उसी आधार पर अपनी लाइन खींचे। मेरी विचारधारा जनता की सेवा करने की है। वो मेरा टारगेट है।
सौरभ शर्मा मामले में दिग्विजय ने लिया था सिंधिया का नाम
दरअसल, दिग्विजय सिंह ने परिवहन विभाग के पूर्व आरटीओ सौरभ शर्मा के ठिकानों से मिली बेहिसाब संपत्ति के मामले में सवाल उठाए थे। उन्होंने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। दिग्विजय सिंह ने कहा था कि 'जब प्रदेश में कमलनाथ सरकार थी तब ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन और राजस्व विभाग देने का दबाव आया था। वे ऐसा क्यों चाहते थे, ये सिंधिया जी ही बता सकते हैं।'
दिग्विजय सिंह के इसी बयान को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि दिग्विजय सिंह मेरे पिता को भी टारगेट करते थे और मुझे भी टारगेट कर रहे हैं।
गोविंद सिंह राजपूत के लिए सिंधिया की ओर से था दबाव
4 दिसंबर को भोपाल दिग्विजय सिंह ने कहा था कि जब कमलनाथ की सरकार बनी थी, तब उन पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से दबाव था कि परिवहन और राजस्व विभाग गोविंद सिंह राजपूत को दिया जाए। इसके बाद हमारी सरकार ने एक बोर्ड का गठन किया था, जो यह फैसला करता था कि कहां किसकी पोस्टिंग होगी।
दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मुझे जानकारी है कि जब शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बने तो सिंधिया जी ने दबाव डालकर बोर्ड भंग करवा दिया। परिवहन विभाग गोविंद सिंह राजपूत को फिर सौंप दिया गया। इसके बाद एक नई प्रक्रिया शुरू हो गई। वसूली करने वाले व्यक्ति यानी कटर की नियुक्ति होने लगी। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सौरभ शर्मा मामले की जांच ईडी-आईटी विभाग से कराने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।

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