मध्य प्रदेश में सहारा की 310 एकड़ जमीन को ऑने पोने दाम में बेचने का घोटाला उजागर करने हेतु आशुतोष दीझित को बधाई, सहारा का घोटाला, दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला है। सहारा की धाक के चलते कई साल बीत जाने पर भी जांच एजेंसी अपनी जांच पूरी नहीं कर सकी है, कार्यवाही होना तो दूर है
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)। शिवपुरी के वकील श्री रमेश मिश्रा ने, कटनी के श्री आशुतोष दीझिट को सहारा समूह की मध्य प्रदेश के भोपाल, जबलपुर,कटनी में स्थित कुल 310 एकड़ जमीन को बाजार भाव से 70 प्रतिशत कम में विक्रय किए जाने का मामला उजागर करने के लिए बधाई दी है, श्री मिश्रा ने बताया है कि सहारा ग्रुप ने निवेशकों से जमा कराई गई राशि से प्रदेश के लगभग सभी बड़े शहरों में सहारा सिटी बनाने के नाम पर जमीन खरीदी थी,जिनमें इंदौर, भोपाल, जबलपुर, देवास, कटनी, ग्वालियर, सागर, गुना आदि शहर शामिल है सहारा सिटी के नाम पर इंदौर में जितनी,जमीन,ओर फ्लैट नहीं है,उससे कहीं ज्यादा लोगो से धनराशि जमा करा ली है,आज उनको उनकी जमा राशि वापिस नहीं की जा रही है, और उनको फ्लैट भी नहीं दिए जा रहे है कटनी के जागरूक नागरिक श्री आशुतोष दिझित द्वारा सहारा के गरीब निवेशकों की परेशानी को देखते हुए, मध्य प्रदेश के भोपाल,जबलपुर,कटनी, शहर की 310 एकड़ जमीन को बाजार भाव से 70 प्रतिशत कम में बेचे जाने का मामला उजागर किया है, उसके लिए वो बधाई, धन्यवाद के पात्र हैं, ई ओ डब्ल्यू ने संज्ञान लेकर, जांच पड़ताल शुरू कर दी है लेकिन सहारा के खिलाफ कोई भी जांच एजेन्सी अभी तक अपनी जांच को पूरा नहीं कर पाई है, उनकी जांच पड़ताल लम्बित है, सालों गुजर गए, ऐसा ही हाल मध्य प्रदेश में ई ओ डब्ल्यू की की जांच पड़ताल का नहीं होगा,ऐसी आशा है।
चिटफण्ड कंपनी सहारा इंडिया के जमाकर्ताओं को उनकी अपनी जमा राशि का भुगतान मिलेगा, इसकी उम्मीद नहीं थी, वे निराशा के भंवर में डूबे हुए थे। आज हताश व निराश थे। ई ओ डब्ल्यू की इस कार्यवाही से उनको आशा की किरण दिखाई दे रही है। उनका मानना है कि एजेंटो ने व चिटफण्ड कंपनी सहारा इंडिया ने तो उनके साथ ठगी बेईमानी व धोखाधड़ी करी है,लेकिन भारत सरकार और उसकी सरकारी संस्थाएं कार्यवाही कर उनकी अपनी जमा राशि का भुगतान करा सकती हैं। उनको न्याय दिला सकती हैं। एक मात्र यही आशा की किरण बची है।
सहारा ने भारत सरकार की संस्थाओं से लायसेंस लेकर सैकड़ों नहीं हजारों की संख्या में चिटफण्ड कपनियो का रजिस्ट्रेशन कराया है। सहारा ने अपने मैनेजर व एजेंटो के माध्यम से देश की गरीब भोलीभाली जनता, रोजाना कमाकर खाने वाले,खेतिहर किसान, मजदूर,कर्मचारीगण को लोकलुभावन नीतियों और ज्यादा ब्याज का लालच देकर उनकी राशि जमा कराई है,नियत समय पर उसका भुगतान नहीं किया,और सहारा के एजेंटों व मैनेजरों ने जमाराशि का एक कंपनी से दूसरी कंपनी में कन्वर्शन ( री इन्वेस्टमेंट ) कराते रहे, सहारा का प्रभाव ( धाक ) इतनी थी कि कोई भी सरकारी संस्था, सहारा के नियम विपरीत किए गए कार्यों पर रोक लगाने या कार्यवाही करने का साहस नहीं कर सकती थी,आज भी यही हाल है, सरकारी संस्थाएं, जांच एजेंसी सालों साल गुजर जाने के बाद भी अपनी जांच को पूरा ही नहीं कर पा रही है,कार्यवाही करना तो दूर की बात है,
देश की सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम कोर्ट) भी 2012 में दिए अपने आदेश का पालन नहीं करवा सकी है,सहारा की भूल भुलैया में घूमती दिखाई देती है, सहारा इंडिया ने पूरे देश भर में अपने एजेंट (कार्यकर्ताओं) को जो चतुर व होशियार है, को मोटा कमीशन देकर देश के भोलेभाले गरीब लोगो, मजदूर,किसान, कर्मचारियों के घर घर, दुकान दुकान पर जाकर कितनी राशि एकत्रित कराई है,उसको अपने एजेंट व मैनेजर से मिलकर उनकी जमा राशि का भुगतान नहीं किया और दूसरी कंपनी में रि इन्वेस्ट ( कन्वर्ट ) करने का कागज पकड़ा दिया,और देश के गरीब भोलेभाले गरीब निवेशकों के साथ ठगी, बेईमानी, व धोखाधड़ी की है। विश्वास देकर विश्वासघात किया है।
वैसे तो सहारा की बुनियाद ही गड़बड़झाले पर रखी गई है, प्रारंभ से ही सरकारी कानूनों और प्रावधानों का पालन नहीं किया, चिटफण्ड कंपनी सहारा इंडिया का मूल धंधा कोई नहीं रहा है, देश के भोलेभाले गरीब लोगो को गुमराह कर उनकी अपनी जमा पूंजी को जमा कराते रहे, और उसका कुछ प्रतिशत व्याज सहित लौटाकर उनका विश्वास अर्जित किया, पर ज्यादातर राशि को दुगना तिगुना करने के नाम पर रि कन्वर्ट (कन्वर्शन) ही किया जाता रहा,लोगो को विश्वास दिलाने के नाम पर जो जमीन देश के विभिन्न जिलों में बताई जाती थी वो कब विक्रय कर दी लोगो को पता ही नहीं चला,केवल वो ही जमीन जो विवादग्रस्त होने से विक्रय नहीं हो सकती है,बची है ।
चिटफण्ड कम्पनी सहारा इंडिया ने कितने लोगो के साथ ठगी,धोखाधड़ी की है। कितनी राशि की ठगी,धोखाधड़ी की है,इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, जो कई लाख करोड़ रुपयों की हो सकती है। आज सहारा को जितनी राशि निवेशकों को लौटानी है, उतनी की प्रोपर्टी आज उसके पास नहीं है, इसलिए लोगो भुगतान नहीं कर पा रही है।आज भी चिटफण्ड कम्पनी सहारा लोगो को भ्रमित व गुमराह ही नहीं कर रही,वल्कि कानूनी दावपेंच भी चल रही है, और भुगतान नहीं करना चाहती है।
चिटफण्ड कंपनी सहारा इंडिया का देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला हो सकता है, भारत सरकार की नाक के नीचे आज भी हो रहा है, देश के गरीब भोले भाले गरीब निवेशकों को उनकी अपनी जमा राशि का जरूरत पर भुगतान नहीं किया जा रहा है। वे अपनी जमा राशि का भुगतान प्राप्त करने हेतु भटक रहे हैं, कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
देशभर में सहारा इंडिया के डायरेक्टरों और अधिकारियों के खिलाफ सैकड़ों नहीं हजारों एफ आई आर दर्ज है,पर अभी तक कोई ठोस एवं प्रभावी कार्यवाही नहीं हो पाना दुःख का विषय है।
सहारा इंडिया में हजारों लाखो करोड़ों रुपए जमा होने के बाद भी बीमारी का इलाज, बच्चो की एजुकेशन,लड़की व लडको की शादी ब्याह आदि नहीं कर पा रहे है,जमाकर्ता ने जरूरत पर काम आयेगे, यह सोचकर सहारा इंडिया में राशि जमा करी थी ,आज उसे कहीं कोई उम्मीद नहीं दिखती उसकी करुण दर्दभरी पुकार है कि है एजेंट महाराज तुम कहां हो,जमा राशि कैसे मिलेगी,?तुम्हारे वादे गारंटी का क्या हुआ,क्या कर रहे हो, कुछ तो बताओ , जमा राशि कैसे मिलेगी , जमाकर्ता को निराशा के भवर से निकालो, है एजेंट महाराज सामने आओ, राशि का भुगतान कराओ।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जून 2008 में सहारा इंडिया में राशि जमा कराने पर रोक लगा दी थी, उसके बाद 3 सितम्बर 2015 को सहारा का लायसेंस निरस्त कर दिया था।
सहारा इंडिया के सभी ऐजेंट ( कार्यकर्ता ) पैसा डुबाने का काम किया है, उन लोगों को मालूम था कि कंपनी बंद हो चुकी है, फिर भी अपने कमीशन के लिए लोगों को बर्बाद किया है, एजेंट ( कार्यकर्ता ) निवेशक की राशि डुबाने में दोषी है, उसने अपने कमीशन के लालच में निवेशक की जमा राशि को वापिस नही होने दिया और कन्वर्शन ( परिवर्तित ) करा दिया। विस्बास देकर विश्वासघात किया है।
आज जब निवेशक को जरूरत पर उसकी जमा राशि नहीं मिल रही है, परेशान हो रहा है, तब एजेंट ( कार्यकर्ता ) कह रहे है कि उन्होंने सहारा का काम करना बंद कर दिया है। उनका कोई संबंध सहारा से नहीं है। उनकी भी राशि जमा है। आपको अपनी जमा राशि नहीं मिल रही है, इसमें वे क्या कर सकते हैं।
सहारा इंडिया रोक होने के बाद भी खुलेआम निवेश करा रही थी, और आज भी अपने एजेंटो (कार्यकर्ताओं) के माध्यम से खुलेआम निवेशकों की राशि ई स्कूटी, ग्लोबल गोल्डन, मल्टी परपज कोपरेटिव सोसायटी आदि में जमा करा रही है, या एक स्कीम से दूसरी स्कीमों में कन्वर्शन(रि इन्वेस्ट) करा रही है।
निवेशकों द्वारा अपनी निवेश कराई गई राशि का भुगतान कराने की बात करने पर जो एजेंट कल तक सहारा को अपना अन्नदाता बताते हुए गुणगान करते थे, निवेशक से अपनी जिम्मेदारी ( गारंटी ) पर उसके घर व दुकानों पर जाकर सहारा इंडिया की तारीफ कर राशि लेकर आए थे। उसके कमीशन की राशि से जमीन जायदाद बना ली, आज कमीशन मिलना बंद हो गया है
तो अपना पल्ला झाड़ रहे है।
यह कितनी दुर्भाग्य पूर्ण व शर्मनाक है। एजेंटो को भुगतान कराने हेतु सामने आना चाहिए।
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