मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर ने दिनांक 24.02.2025 को नवीन कु० जैन द्वारा दाखिल रिट याचिका में विद्युत विभाग द्वारा बिजली चोरी के आरोप में पिछले 3 सालों से निरंतर जारी वसूली कार्यवाही को कानूनी प्रावधान के विपरीत घोषित कर, वसूली की कार्यवाही को अपास्त घोषित किया है। मामले में याचिकाकर्ता की पैरवी अंचित जैन अधिवक्ता द्वारा की गई थी।
*क्या है मामला
विद्युत विभाग, करैरा ने दिनांक 23.07.2022 को उपभोक्ता नवीन कु० जैन के विरुद्ध विद्युत चोरी के आरोप में रू० 1,93,561/- की वसूली का नोटिस जारी किया गया था। भुगतान ना करने की स्थिति में उपभोक्ता के विरुद्ध संपत्ति जब्ती करने का नोटिस दिया गया था। परंतु याचिकाकर्ता को कोई भी पक्ष समर्थन का अवसर प्राप्त नहीं होने, एवं विशेष न्यायालय में विचारण प्रारंभ होने से पूर्व ही वसूली कार्यवाही, एवं संपत्ति जब्ती सूचना के विरुद्ध विधिक अधिकारों के संरक्षण, प्रक्रिया के अनुपालन, एवं न्यायिक विचरण की माँग के लिए उच्च न्यायालय, खंडपीठ ग्वालियर के समक्ष रिट याचिका दाखिल की, जिसके दिनांक 24.02.2025 को न्यायमूर्ति मिलिंद रमेश फडगे की एकल पीठ द्वारा यह निर्णय पारित किया कि, विद्युत अधिनियम के अनुसार विद्युत विभाग द्वारा विद्युत चोरी के आरोप की कार्यवाही के प्रभाव में विभाग को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी भी उपभोक्ता के विरुद्ध वसूली की कार्यवाही कर सके। ऐसे किसी भी अभियुक्त उपभोक्ता के विरुद्ध किसी भी प्रकार की वसूली, एवं दंड तय कर कार्यवाही का आदेश जारी करने का अधिकार केवल विशेष सत्र न्यायालय को प्राप्त है। चूँकि विभाग द्वारा पूर्व वर्षों से वसूली की कार्यवाही निरंतर जारी है, एवं कोई भी प्रकरण न्यायालय के समक्ष दाखिल नहीं किया गया है, इस कारण उच्च न्यायालय द्वारा विभाग की कार्यवाही को विधि के विपरीत पाकर कर अपास्त घोषित कर दिया है।
*क्या है कानून:*
किसी भी उपभोक्ता के विरुद्ध विद्युत की चोरी, या अनाधिकृत उपयोग की कार्यवाही करने के पूर्व विभाग द्वारा उपभोक्ता को कथित आरोप पर जवाब देने का एक अवसर सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी विभाग पर है। जिसके अवलोकन के बाद विभाग यह तय करेगा कि उपभोक्ता के विरुद्ध कार्यवाही किया जाना आवश्यक है या नहीं। इसके बाद अगर कार्यवाही करने की आवश्यकता है, तब विभाग द्वारा विशेष सत्र न्यायालय के समक्ष शिकायती आवेदन पेश किया जाएगा, जिस पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही न्यायालय अपने निर्णय में यह तय करेगा की उपभोक्ता ने आरोपित कृत्य किया है या नहीं, एवं आरोप सिद्ध होने की स्थिति में ही वसूली, एवं दंडात्मक कार्यवाही का आदेश दिया जाएगा।
*क्या करे उपभोक्ता
विद्युत विभाग द्वारा स्थल निरीक्षण की कार्यवाही में विभाग को सहयोग प्रदान करने के बाद, पंचनामा की प्रति आवश्यक रूप से प्राप्त करें। इसके बाद विभाग द्वारा जारी सूचना पत्रों को प्राप्त करने पर, नजरअंदाज नहीं करें। पत्र पर उल्लेखित समय सीमा में विभाग को अपना लिखित स्पष्टीकरण प्रेषित करें, एवं आवश्यक रूप से आपकी निजी प्रति पर विभाग की सील एवं तारीख लेख प्राप्ति लें। अगर आरोप तय होने पर उपभोक्ता आरोप अस्वीकार करता है तो उसे विशेष सत्र न्यायालय में प्रकरण में उस्थिति होकर पक्ष रखने का अवसर प्रदान कराया जाएगा। इस बीच किसी भी विधिक प्रक्रिया के उल्लंघन होने की स्थति में उपभोक्ता को अपने विधिक अधिकार का संरक्षण हेतु उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल करने का अधिकार प्राप्त हैं।
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