कोलारस। वीरमखेड़ी रेलवे स्टेशन के पास ठाकुर बाबा मंदिर पर चल रही भागवत कथा के सातवें दिन रविवार को सुदामा चरित्र के वर्णन के साथ हुआ! कथा व्यास आचार्य मुकेश शास्त्री जी ने विभिन्न प्रसंगो पर प्रवचन दिये! कथा व्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो! सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना ही मदद कर दें! परन्तु आजकल
स्वार्थ की मित्रता रह गईं है! जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है! जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता ख़त्म हो
जाती है! उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारिकापुरी जाते हैं! जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब पहरियों से कृष्ण को अपना मित्र
बताते हैं! और अंदर जाने की बात कहते हैं! सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते हैं और कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है!
पहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं! तभी एक पहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्री कृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक
सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है, द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पाँव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र को
रोककर सुदामा को गले लगा लिया सुदामा जी का भव्य स्वागत किया गया, एवं अपने आसुंओ से सुदामा जी के पैरों को धोया,सुदामा जी की गरीबी को दूर
किया,परीक्षत के मोक्ष भागवत कथा को सुनकर हुआ,सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा! अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है कथा के दौरान परिक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया! कथा के बीच - बीच में भजनों का आनंद लिया, इस दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रोता मौजूद थे! कथा वाचक मुकेश शास्त्री जी ने बताया कि भागवत का श्रवण से मन को आत्मा को परम सुख की प्रात्ती होती है! इस अवसर पर राधा कृष्ण वृज पुष्प फूलों की होली का फूल
उड़ाकर सभी ने नाचकर आनंद लिया
समापन पर भागवत कथा में का मुख्य यजमान द्वारा सभी अतिथि का शॉल माला पहनाकर सम्मान किया गया अन्त में सभी ने यजमान परिवार के द्वारा आरती की गईं और प्रसाद वितरण किया गया।
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