*बच्चों ने जैव विविधता व विश्व धरोहर स्थलों को करीब से देखा: प्रफुल्लित हुआ मनशिवपुरी। दून पब्लिक स्कूल शिवपुरी के छात्रों का एजूकेशनल टूर विश्व प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य केवलादेव राजस्थान एवं विश्व धरोहर फतेहपुर सीकरी गया।
छात्रों ने भरतपुर के समीप स्थित केवलादेव बर्ड सेंचुरी में जैव विविधता को करीब से देखा। पशु-पक्षियों के विषय में खासी रुचि रखने वाले स्कूल के डायरेक्टर शाहिद खान ने बताया कि केवलादेव शिव मंदिर के नाम पर इस पक्षी उद्यान का नामकरण किया गया है।
भरतपुर पक्षी अभयारण्य में प्रवासी पक्षियों में क्रेन, पेलिकन, गीज़, डक, ईगल, हॉक्स, शंक, स्टैंक्स, वागटेल, वारब्लर्स, व्हीटियर्स, फ्लायर्स, बंटिंग्स, लार्क्स और पिपिट्स आदि 370 प्रजातियां शामिल हैं। ये प्रजातियां साइबेरिया और मध्य एशिया जैसे दूर के स्थानों से उड़ती हैं, विशेष रूप से सर्दियों में।1971 में यह संरक्षित क्षेत्र घोषित
किया गया तथा 1982 में राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य बना। साल 1985 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा देकर संरक्षण प्रदान किया है। टूर मे शामिल बच्चों ने इस तरह केवलादेव नेशनल पार्क के इतिहास को जाना।
पक्षी भी खेलते है, अपनी भावनाऐं करते हैं अभिव्यक्त
क्रिकेट की पिच पर चौके छक्के लगाने वाले प्रसिद्ध खिलाड़ी एवं स्कूल टूर के इंचार्ज समी खान ने बच्चों के साथ संवाद करते हुए बताया कि ये पक्षी भी खेलते हैं, अपनी खुशी का इजहार करते है, इनके अंदर भी संवेदनाऐं होती हैं। हमें पक्षियों के पर्यावास को संरक्षित करना चाहिए किसी प्रकार का प्रदूषण नही करना चाहिए। 
पक्षियों के संसार में बच्चों ने सीखा साहस, एकता, सहयोग का पाठ
बच्चे ये जानकर हैरान थे कि हजारों किलोमीटर का सफर करके पक्षी हमारे यहां तक आते हैं और सर्दियां खत्म होते ही ये अपने देश लौट जाते हैं। पक्षियों में ये अद्भुत ज्ञान होता है कि वे रास्ता नहीं भटकते हैं, ये सभी एक साथ कतारबद्ध अनुशासन में रहते हुए साहस के साथ अपना सफर पूरा करतें हैं। मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान , कज़ाकिस्तान , तुर्कमेनिस्तान, यूरोप, साइबेरिया आदि दूर के देशों से आने वाले पक्षियों का अध्ययन कर छात्रों के मन में परिंदों के प्रति संवेदना का भाव जाग्रत हुआ।कला संस्कृति एवं मानवीय संबधों को जानने के लिए इतिहास पढ़ें व विरासत को सहेजें डॉक्टर खुशी खान
शैक्षिक भ्रमण के दूसरे दिन छात्रों ने बादशाह अकबर द्वारा बनाई गई राजधानी फतेहपुर सीकरी के इतिहास, वास्तुकला, उस समय के जीवन शैली के चिन्ह व गीत-संगीत स्थल, जल संरक्षण के तरीकों को करीब से देखा। बुलंद दरवाजा, सलीम चिश्ती का मजार, पंच महल, जोधाबाई का महल, अनूप तालाब, दीवान-ए-आम, दीवान-ए- ख़ास, ख्वाबगाह सहित परिसर में मौजूद स्मारकों के आर्किटेक्चर को जाना व जल प्रबंधन की तकनीक को समझा। इस तरह दून पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट़स का दो दिवसीय टूर का सफलतापूर्वक समापन हुआ।

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