इसी के साथ प्रदेश सरकार ने रजिस्ट्री की पुरानी साइट सम्पदा 1, 31 मार्च से पूरी तरह बंद करने का फैसला किया है, अब संपदा 2.0 पर रजिस्ट्रियां हुआ करेंगी। संपदा 1.0 सॉफ्टवेयर से पहले सिर्फ राजस्व और वित्त विभाग ही जुड़े हुए थे। संपदा 2.0 से आयकर विभाग, जीएसटी, नगरीय आवास एवं विकास विभाग, राजस्व, पंचायत विभाग के अलावा इसे आधार से भी जोड़ा गया है। सम्पदा 2.0, मध्य प्रदेश सरकार के वाणिज्यिक कर विभाग के महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक (आईजीआरएस) द्वारा दस्तावेजों के ई-पंजीकरण और ई-स्टाम्प जारी करने के लिए एक व्यापक उपयोगकर्ता-अनुकूल अनुप्रयोग है, जिसका उद्देश्य बेहतर प्रशासन, साक्ष्य-आधारित प्रसंस्करण और बहु-उपयोगी दस्तावेजों के लिए बहु-उपयोगी दस्तावेज तैयार करना है।
संपदा 2.0 की अनूठी विशेषताएं:
सम्पदा 2.0 दस्तावेज़ पंजीकरण सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप का नया संस्करण है।
यह प्रणाली पंजीकरण के लिए उप-पंजीयक कार्यालय जाने की आवश्यकता को समाप्त कर देती है, जिससे प्रक्रिया परेशानी मुक्त और कागज रहित हो जाती है।
आधार से जुड़ी सुरक्षा
दस्तावेजों और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रणाली को हस्ताक्षर के स्थान पर आधार से जुड़े मोबाइल नंबरों के माध्यम से ओटीपी सत्यापन किया जाता है। रजिस्ट्री लिंक सहित सभी सूचनाएं उपयोगकर्ताओं को व्हाट्सएप, ईमेल और आधार से जुड़े मोबाइल नंबरों के माध्यम से भेजी जाएंगी।
पंजीकरण के लिए तीन विकल्प:
सेवा प्रदाता के माध्यम से : दस्तावेजों को पंजीकृत सेवा प्रदाता के माध्यम से पंजीकृत किया जा सकता है।
जियो-टैगिंग: जियो-टैगिंग का उपयोग करके संपत्तियों की पहचान की जाएगी, और मूल्यांकन और स्टांप ड्यूटी विवरण स्वचालित रूप से प्राप्त किए जाएंगे।
कागज रहित प्रक्रिया: कोई भौतिक प्रिंट प्रदान नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, रजिस्ट्री को ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से पीडीएफ फाइलों के रूप में भेजा जाएगा।
गवाहों की आवश्यकता नहीं: नई प्रणाली पंजीकरण के दौरान गवाहों की आवश्यकता को समाप्त कर देती है।
वास्तविक समय डेटा एकीकरण : संपत्ति विवरण के लिए विभिन्न विभागों ( राजस्व, नगर नियोजन , नगर निगम ) से जानकारी स्वचालित रूप से प्राप्त की जाएगी।
स्वचालित नामांतरण : स्वचालित नाम परिवर्तन (नामांतरण) के लिए रजिस्ट्री डिजिटल रूप से भेजी जाएगी, जिससे नामांतरण प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो जाएगी।दस्तावेजों की जालसाजी न हो, इसके लिए
पहले फोटो आईडी अपलोड करके पहचान होती थी। अब आधार बेस्ड प्रक्रिया होगी। पूरी व्यवस्था पेपरलेस है, इसलिए डिजिटल सिग्नेचर कहीं से भी कर सकेंगे। इसके लिए बायोमेट्रिक या आइरिश जरूरी होगा।
हस्ताक्षर की टेम्परिंग नहीं हो सकेगी। दस्तावेजों की जालसाजी नहीं होगी। आप देश ही नहीं विदेश में रहकर भी ऑनलाइन रजिस्ट्री कर सकेंगे।
जियो-टैगिंग की मदद से किसी संपत्ति की पहचान उसके अद्वितीय अक्षांश-देशांतर निर्देशांक के ज़रिए की जाती है. यह प्रक्रिया भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के ज़रिए की जाती है. जियो-टैगिंग से संपत्तियों की भौगोलिक पहचान मानचित्र पर उनके सही स्थान पर की जा सकती है.
जियो-टैगिंग के फ़ायदे:
जियो-टैगिंग से पता चलता है कि शहर में कितनी संपत्तियां हैं और कितने टैक्सपेयर हैं.
जियो-टैगिंग से संपत्तियों की पहचान आसान हो जाती है.
जियो-टैगिंग से संपत्तियों का डेटाबेस तैयार होता है.
जियो-टैगिंग से संपत्तियों से जुड़ी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है.
जियो-टैगिंग का इस्तेमाल कहां होता है:
फ़ोटो, वीडियो, वेबसाइट, टेक्स्ट मैसेज, और क्यूआर कोड पर जियो-टैग लगाया जा सकता है.
ब्लॉग प्रविष्टियों में जियोटैग के ज़रिए विशिष्ट भौगोलिक स्थान की जानकारी दी जा सकती है.
भुगतान प्रणाली के टचपॉइंट्स की जियोटैगिंग करके व्यापारियों को ग्राहकों से भुगतान मिलता है.
कर्मचारियों की निगरानी के लिए भी जियो-टैगिंग का इस्तेमाल किया जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें