शिवपुरी। घोटालों के सिरमौर शिवपुरी जिले में एक और घोटाला हो गया है। अभी तक सहकारी बैंकों, जनपद पंचायतों में महा घोटाले हुए और जांच चल रही है तो इसी क्रम में अब "शिवपुरी के लोनिवि PWD" में लॉगिन-पासवर्ड लीक करते हुए "7 करोड़" का "वेतन घोटाला" अंजाम दे डाला है। इस बड़े मामले में लापरवाही के फेर में पूर्व मंत्री के रिश्तेदार "शिवपुरी के वर्तमान ईई धर्मेंद्र सिंह यादव, तत्कालीन इंजीनियर सहित 15 पर केस दर्ज किया गया है। कुलमिलाकर एक बार फिर सरकार की आउट सोर्स कर्मचारी रखने की जिद ने महा घोटाला अंजाम दिया है, यानि चंद रुपयों में ठेके के छोटे कर्मचारी जल्दी ही अंबानी ! बनने के चक्कर में घोटाला अंजाम दे रहे हैं और इसके लिए वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों के विश्वास को तिलांजलि देते हुए उनके दिए पासवर्ड अधिकार का दुरुपयोग कर उन्हें आरोपी बना डालते हैं। बैंक, जनपद के बाद कुछ इसी तरह का घोटाला अब लोनिवि में सामने आया जब कोषालय ने इस घोटाले को पकड़ा और फिर जांच की गई तो घोटाला पकड़ा गया।
जानकारी के अनुसार शिवपुरी के लोक निर्माण विभाग में 7 करोड़ रुपये के वेतन घोटाले का जो मामला सामने आया है उसमें ट्रेजरी विभाग के एटीओ व बाबू की शिकायत पर कोतवाली थाने में 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
वर्तमान ई ई यादव आए लपेटे में केस दर्ज
इस मामले में पीडब्ल्यूडी के वर्तमान कार्यपालन यंत्री धर्मेंद्र यादव और 4 पूर्व कार्यपालन यंत्री आरोपी हैं। इनमें ओमहरि शर्मा, जीबी मिश्रा, बीएस गुर्जर और हरिओम अग्रवाल शामिल हैं। इनमें से चार अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
इन 15 लोगों पर दर्ज हुआ केस
उक्त मामले में संभागीय लेखाधिकारी एचके मीना, संजय शर्मा और वैभव गुप्ता को जहां आरोपी बनाया है। वहीं विभाग के बाबू दयाराम शिवहरे और प्रेमनारायण नामदेव के साथ आउटसोर्स कर्मचारी गौरव श्रीवास्तव, सौरभ श्रीवास्तव, शाहरुख खान और नसीम खान पर भी केस दर्ज हुआ है।
आउटसोर्स कंपनी पर भी हुआ केस दर्ज
उक्त मामले में कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली धूलजी एवं सरिता देवी समाज सुधार समिति भी आरोपियों में शामिल की गई है। सरकार को सोचना होगा कि आउट सोर्स सरकार के हाजमे के लिए ठीक नहीं बल्कि संविदा नौकरी देकर लोगों को उनके जीवन जीने का अधिकार प्रदान करना चाहिए जिससे वे आउट सोर्स की लटकती तलवार यानी नौकरी आज है कल नहीं के डर से मुक्त रहकर इस तरह के घोटालों से दूर रहे।
छह साल चलती रही घोटाले की रेल तब खुली पोल
इस घोटाले का खुलासा आयुक्त कोष एवं लेखा भोपाल की जांच में हुआ। फिर इस मामले की जांच डिप्टी कलेक्टर अनुपम शर्मा ने की। उन्हें जांच में पता चला कि ये घोटाला 2018 से 2023 के बीच हुआ है। यानी छह साल बाद चोरी पकड़ी गई।
पासवर्ड देना पड़ा भारी, सभी ई ई ने की एक ही भूल, दिया पासवर्ड
कहते है भूल एक बार होती है लेकिन यहां एक ही भूल फिल्म लगातार चलती रही। हर एक कार्यपालन यंत्रियों ने अपने लॉगिन और पासवर्ड अनाधिकृत व्यक्तियों को दे दिए। किसी ने भी ताक झांक की कोशिश नहीं की कि उनको टोपी पहनाई जा रही है। अधिकारियों के विश्वास का गलत इस्तेमाल कर आरोपियों ने गलत तरीके से वेतन भुगतान किया और सरकारी धन का गबन किया।

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