नागपुर/शिवपुरी, 5 अप्रैल 2025 शिवपुरी के रहने वाले विधि छात्र नमन शर्मा के सुझाव एवं प्रस्ताव के आलोक में महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, नागपुर द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय था "विधायन से व्यवहार तकः नए आपराधिक क़ानूनों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन।" इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य भारत की हालिया तीन प्रमुख आपराधिक विधियों- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के व्यावहारिक पक्षों पर विधिज्ञों, प्रशासकों, और अकादमिक समुदाय के बीच संवाद स्थापित करना था।
इस संगोष्ठी में शिवपुरी के सुप्रसिद्ध अधिवक्ता निपुण सक्सेना ने विशेष वक्ता के रूप में भाग लिया और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के विधिक पहलुओं पर गहन एवं विचारोत्तेजक प्रस्तुति दी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि यद्यपि इन नए विधानों का उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया को अधिक आधुनिक और प्रभावी बनाना है, तथापि उनमें कई प्रक्रियात्मक अस्पष्टताएं ऐसी हैं जो अभियोजन पक्ष की तुलना में प्रतिरक्षा पक्ष को अधिक लाभ देती हैं। उन्होंने ई-साक्ष्य ऐप की तकनीकी कमियों, फॉरेंसिक रिपोर्टिंग में देरी, पुलिस विवेकाधिकार की बढ़ती भूमिका, और अनुच्छेद 14 के उल्लंघन की संभावनाओं जैसे विषयों को उजागर करते हुए यह कहा कि वर्तमान स्वरूप में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 'डिफेंस काउंसल के लिए डिज़नीलैंड बन चुका है।
संगोष्ठी का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (से.) वी. एस. सिरपुरकर ने किया, जिन्होंने अपने दीर्घ विधिक अनुभवों को साझा करते हुए नैतिक मूल्यों और पेशेवर ईमानदारी की आवश्यकता पर बल दिया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. (डॉ.) श्रीकृष्ण देवा राव, कुलपति, नालसार विश्वविद्यालय, हैदराबाद, भी उपस्थितरहे, जिन्होंने नए कानूनों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समकालीन आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने लैंगिक निरपेक्ष भाषा, सामुदायिक सेवा जैसे दंड विकल्प और डिजिटल तकनीकों के उपयोग की सराहना करते हुए कहा कि इन सुधारों के माध्यम से न्याय प्रणाली को संविधान की नैतिकता के अनुरूप रूपांतरित किया जा रहा है।
संगोष्ठी का स्वागत भाषण महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, नागपुर के कुलपति प्रो. (डॉ.) विजेन्द्र कुमार द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने नए विधानों की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केवल विधायी परिवर्तन नहीं हैं. बल्कि भारतीय समाज की वास्तविकताओं से मेल खाते हुए संवैधानिक मूल्यों को मूर्त रूप देने का प्रयास हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विवेक धवणे द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने न्यायमूर्ति सिरपुरकर एवं प्रो. राव की उपस्थिति और मार्गदर्शन के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। उन्होंने साथ ही प्रो. त्रिशा मित्तल, आयोजन समन्वयक, एवं डॉ. शिल्पा जैन और डॉ. दिविता कोठेकर, सह-संयोजकों के योगदान की भी सराहना की।
इस संगोष्ठी में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पी. वी. दिनेश, वरिष्ठ अधिवक्ता नंदिता राव, पुलिस अधीक्षक नागपुर ग्रामीण श्री हर्ष ए. पोद्दार, अधिवक्ता रेणुका सिरपुरकर (बॉम्बे हाईकोर्ट, नागपुर बेंच), और पुलिस उपायुक्त श्री लोहित मातानी ने भी अपने व्यावहारिक अनुभवों और विश्लेषणों को साझा किया। संगोष्ठी के दौरान 'कॉन्टेम्परेरी लॉ रिव्यू के नवीन अंक का विमोचन भी संपन्न हुआ। कार्यक्रम में देशभर से अनेक विधिज्ञ, प्रोफेसर, शोधकर्ता एवं छात्र उपस्थित रहे।
इस आयोजन में शिवपुरी की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। नमन शर्मा, छात्र संयोजक के रूप में, इस पूरी संगोष्ठी की संरचना, योजना एवं क्रियान्वयन में प्रमुख भूमिका में रहे। वहीं अधिवक्ता निपुण सक्सेना ने विधिक विश्लेषण प्रस्तुत कर शिवपुरी की विद्वत्ता को राष्ट्रीय विधिक मंच पर गौरवान्वित किया।

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