आइए जानिए खास जानकारी
आज हम बात कर रहे हैं "खोखई मठ" की जो रन्नौद, जिला शिवपुरी (मध्य प्रदेश) में स्थित है। पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित ये स्मारक मध्य काल में रन्नोद शेव धर्म का प्रमुख केन्द्र था, इसी समय यहां कई मंदिरों एवं मठो का भी निर्माण हुआ। स्थानीय लोग इस मठ को "खोखई मठ" कहते हैं जो मूल रूप से शेव मठ था, वर्तमान में इसका उपयोग मन्दिर के रूप में किया जा रहा है, यहां से प्राप्त संस्कृत भाषा के एक अभिलेख के अनुसार इस मठ का निर्माण राजा अवंती वर्मन के धार्मिक गुरु पुरंदर ने करवाया था, कालान्तर में इसका विस्तार व्योमशिव द्वारा करवाया गया।अभिलेख में यह भी बताया गया है कि व्योम शिव ने एक जलाशय का भी निर्माण करवाया था। यह जलाशय मठ के सामने देखा जा सकता है। यद्दपि इस अभिलेख में तिथि का वर्णन नही है, परन्तु इसकी लिपि के आधार पर, इसकी तिथि 9 वी से11वी सदी ई. के मध्य निर्धारित की जा सकती है।
मठ के निर्माण में बड़े बड़े पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, जो कि बिना किसी गारे से जुड़े हुए हैं। मठ की छत बनाने के लिए बड़ी-बड़ी पटियो का इस्तेमाल किया गया है। इसमें एक खुला आंगन है, जिसके चारों ओर बरामदा है, तथा इससे लगे हुए कमरे बने हैं।
कदवाहा, सुरवाया तथा तेरही के मठ की तरह है खोखई मठ
कदवाहा, सुरवाया तथा तेरही के मठ की तरह ही इस मठ का निर्माण भी 9 वी से11 वी शताब्दी के दौरान शेव मत के अनुयायियों के निवास हेतु किया गया था। जहां देश ही नहीं विदेशी पर्यटक घूमने व इसे देखने आते हैं, यह शेव संप्रदाय का महत्व पूर्ण स्थल है। लेखक के अनुसार पुलिस थाना रन्नौद से खोखई मठ तक जाने व आने का रास्ता ठीक नहीं है, इस स्थान का विकास अपेक्षित है।

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