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#धमाका न्यूज: रामनवमी के शुभ अवसर पर PM मोदी ने किया Tamil Nadu के Rameswaram में नवनिर्मित Pamban Railway or ship Bridge का उदघाटन

रविवार, 6 अप्रैल 2025

/ by Vipin Shukla Mama
तमिलनाडु। आज रामनवमी के शुभ अवसर पर Tamil Nadu के Rameswaram में नवनिर्मित Pamban Railway or ship Bridge का देश के प्रधानमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी ने उदघाटन किया। इसके पहले जनवरी में इस ट्रैक पर रेलवे ने सफल ट्रायल रन किया गया था। 
इस तरह 6 अप्रैल 2025 इतिहास में दर्ज हुई जब भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज (समुद्री पुल) पमवन का आज उद्घाटन हुआ। इसी के साथ रामेश्वरम-तांबरम (चेन्नई) नई ट्रेन सेवा एवं जहाज को हरी झंडी दिखाई। 2.08 किमी लंबे ब्रिज की नींव नवंबर 2019 में मोदी ने ही रखी थी। भाषा विवाद के कारण तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन कार्यक्रम में नहीं आए।
ब्रिज रामेश्वरम (पमवन द्वीप) को भारत की मुख्य भूमि तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है। अभी तक रामेश्वरम की रेल यात्रा का अंतिम पड़ाव पुराना पुल 2022 में बंद होने के बाद से मंडपम ही था, इस स्टेशन की हालत दयनीय थी, यात्री भारी परेशानी का सामना करते थे। ट्रेन से उतरकर खस्ताहाल स्टेशन मिलता था। फिर बसों से या ऑटो, कार, जीप, टैक्सी से रामेश्वरम जाना पड़ता था। अब ट्रेन सीधे रामेश्वरम तक जाएगी। आज उद्घाटित पुल की प्रधानमंत्री मोदी ने ही नवंबर 2019 में नींव रखी थी। भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसे डबल ट्रैक और हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए डिजाइन किया गया है। स्टील से बने नए ब्रिज पर पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है, जो इसे जंग और समुद्र के नमकीन पानी से बचाएगी। पुराना पुल 2022 में जंग लगने की वजह से बंद कर दिया गया था। इसके बाद से रामेश्वरम और मंडपम के बीच रेल कनेक्टिविटी खत्म हो गई थी। 
आस्था के चलते महत्वपूर्ण 
खास बात ये है कि रामायण के अनुसार, रामसेतु का निर्माण रामेश्वरम के पास धनुषकोडी से शुरू हुआ था। इस वजह से ये आस्था के नजरिए से भी महत्वपूर्ण है।
मंदिर में की पूजा
पीएम मोदी रामेश्वरम में रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा करने गए। रामेश्वरम में 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित भी किया।
5 मिनिट में ऊपर उठ जाता है ब्रिज
नया पमवन ब्रिज 100 स्पैन यानी हिस्सों से मिलकर बनाया गया है। जब समुद्री जहाज को निकलना होता है तो इस नेविगेशन ब्रिज (समुद्री जहाजों के लिए खुलने वाले ब्रिज) का सेंटर स्पैन (बीच वाला हिस्सा) ऊपर उठ जाता है। आज उद्घाटन के अवसर पर जब जहाज को हरी झंडी दिखाई तो वह नए ब्रिज के नीचे से होकर निकला। नया ब्रिज इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम पर काम करता है। इस वजह से इसका सेंटर स्पैन सिर्फ 5 मिनट में 22 मीटर तक ऊपर उठ सकता है। इसके लिए सिर्फ एक आदमी की जरूरत होगी। वहीं, पुराना पुल कैंटिलीवर पुल था। इसे लीवर के जरिए मैन्युअली खोला जाता था, जिसमें 14 लोगों की जरूरत होती थी।
हवा रोकेगी ब्रिज का रास्ता
हालांकि समुद्री हवा की गति 58 किमी प्रति घंटे या उससे ज्यादा हो जाने पर वर्टिकल सिस्टम काम नहीं करेगा और ऑटोमैटिक रेड सिग्नल हो जाएगा। हवा की गति सामान्य होने तक ट्रेन की आवाजाही बंद रहेगी। ऐसा अक्सर अक्टूबर से फरवरी के बीच होता है। इन महीनों में तेज हवाएं चलती हैं।
जानिए ऐसे काम करेगा ब्रिज का मैकेनिज्म
वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज का मैकेनिज्म बैलेंसिंग सिस्टम पर काम करता है। इसमें काउंटर-वेट्स लगाए गए हैं। जब ब्रिज ऊपर उठता है, तो शिव्स यानी बड़े-बड़े पहियों की मदद से स्पैन और काउंटर-वेट दोनों को सपोर्ट मिलता है। जब ब्रिज नीचे आता है, तो काउंटर-वेट्स उसका वजन संभाल लेते हैं। इस टेक्नोलॉजी की वजह से ब्रिज ज्यादा वजन सह सकता है। इससे ब्रिज के सेंटर स्पैन की वर्टिकल लिफ्टिंग स्मूद और सेफली हो पाती है।
31 जनवरी 2025 को रामेश्वरम एक्सप्रेस ट्रेन का सफल ट्रायल हुआ
दक्षिण रेलवे ने 12 जुलाई 2024 को नए पमवन ब्रिज पर लाइट इंजन का ट्रायल रन किया था। इस ट्रायल से ब्रिज की मजबूती और सुरक्षा की पुष्टि हुई। इसके बाद 4 अगस्त 2024 को टावर कार ट्रायल रन किया गया, जिसमें रामेश्वरम स्टेशन तक OHE (ओवरहेड इक्विपमेंट) टावर कार चलाई गई।
(देखें ट्रायल रन का अद्भुत नजारा)
31 जनवरी 2025 को रामेश्वरम एक्सप्रेस ट्रेन का सफल ट्रायल हुआ। ट्रेन को मंडपम से रामेश्वरम स्टेशन तक ले जाया गया। इस दौरान वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज को पहली बार इंडियन कोस्ट गार्ड की पेट्रोलिंग बोट के लिए ऊपर उठाया गया।
लिफ्ट वाले हिस्से के लिए 50 किमी प्रति घंटे की अनुमति 
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने ब्रिज के लिए 75 किमी प्रति घंटे की गति सीमा को मंजूरी दी है, लेकिन यह नियम ब्रिज के बीच वाले हिस्से यानी ऊपर उठने वाले हिस्से पर लागू नहीं होगा। लिफ्ट वाले हिस्से के लिए 50 किमी प्रति घंटे की अनुमति दी गई है। इसी साल जनवरी में दक्षिण रेलवे ने एक दस्तावेज साझा करते हुए कहा था कि जंग के खिलाफ मजबूत सतह संरक्षण प्रणाली पुल के जीवनकाल को बिना रखरखाव के 38 साल तक और न्यूनतम रखरखाव के साथ 58 साल तक सुरक्षित रख सकती है।
नए पमवन ब्रिज की दो खूबियां 
* फुली ऑटोमेटेड वर्टिकल लिफ्ट स्पैन 
पुराने मैनुअल शेरजर लिफ्ट की तुलना में नया पुल पूरी तरह से ऑटोमेटेड वर्टिकल लिफ्ट सिस्टम से लैस है। इससे ट्रेन संचालन ज्यादा आसान होगा।
ज्यादा ऊंचाई से गुजर सकेंगे जहाज 
पुराना पुल 19 मीटर ऊंचाई तक खुलता था, लेकिन नए पुल में 22 मीटर का एयर क्लियरेंस दिया गया है। इससे बड़े जहाज आराम से गुजर सकेंगे।
डबल ट्रैक और इलेक्ट्रिफिकेशन 
नए पुल को तेज रफ्तार ट्रेनों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें डबल ट्रैक और इलेक्ट्रिफाइड सिस्टम शामिल है। 
पुराना ब्रिज 108 साल चला
पुराने पमवन ब्रिज ने 108 साल तक रेल कनेक्टिविटी बनाए रखी थी। इसे दिसंबर, 2022 में जंग लगने के कारण बंद कर दिया गया था। इसे 'कैंटिलीवर शेरजर रोलिंग लिफ्ट ब्रिज' भी कहा जाता है। यह नाम जर्मन इंजीनियर शेरजर के नाम पर रखा गया था। इन्होंने ही पुराने ब्रिज का डिजाइन बनाया था। आपको बता दें कि पुराना ब्रिज इसलिए बना कि ब्रिटिश शासन के दौरान 1850 में भारत और श्रीलंका (तब का सीलोन) को जोड़ने के लिए समुद्री मार्ग बनाने की योजना बनी। इसके लिए पाल्क स्ट्रेट (सेतुसमुद्रम) में एक नहर बनाने का विचार था, लेकिन यह योजना आर्थिक और पर्यावरणीय कारणों से असंभव लगने लगी।
इसके बाद ब्रिटिश प्रशासन ने एक नया प्लान तैयार किया। इस प्लान के तहत तमिलनाडु के मंडपम और पमवन द्वीप के बीच रेलवे लाइन और फिर धनुषकोडी से कोलंबो तक फैरी (नाव) से जोड़ा जाना था।
अहम बात ये थी कि रामेश्वरम धार्मिक और व्यापारिक रूप से अहम था। बड़ी संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए आते थे। इसके लिए नाव का इस्तेमाल होता था। तेज हवाओं और समुद्री लहरों के कारण सफर करना मुश्किल होता था। साथ ही अंग्रेज श्रीलंका और तमिलनाडु के बीच बेहतर कनेक्टिविटी चाहते थे, जिससे श्रीलंका से व्यापार बढ़ सके। इसके लिए ब्रिटिश प्रशासन ने रेलवे ब्रिज बनाने का फैसला लिया। तब पुराने पमवन ब्रिज को बनाने का प्लान 1870 में बना था, लेकिन काम 1911 में शुरू हुआ। 24 फरवरी, 1914 को इस पुल के जरिए रेल सेवा शुरू हुई थी। इस पुल की लंबाई 2.06 किमी थी। इसे खास तकनीक से बनाया गया था ताकि जहाज इसके नीचे से गुजर सकें।
#Rameswaram #Railway #IndianRailways #PambanRailwayBridge

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